Sunday, April 27, 2025

                        मैंऔर तुम


मैं मैं हूँ पर तुम बन जाना चाहता हूँ

तुम तुम हो पर हो कहीं मुझमें ही ||


मैं आज हूँ और तुम मेरा कल हो ,

तुमको  मैं  सदैव उच्च ही   पाता हूँ,

तुम कल का चमकता सूरज हो ,

पर ऊष्मा पाते हो मेरे ही  आज से ||


आज और कल में  संबंध है गहरा सदियों का

अनमोल  पलों का, निरंतरता का,  मेहनत की कड़ियो का ||

       ये  जो कल है ,  बनता है वो मेरे ही आज से

       मेरे ही प्रयासो से, मेरे ही बलिदानो से |

 

पलों को नही समझ लेना  सिर्फ़ पल जैसा,

कि पलों में है भरना कुछ ऐसा,

 जब मिले मेरा यह आज तुम से,

 उत्साह और आशा  से भरा रहे मिलन ये

 और  गर्वित हो उठो तुम, मुझपे और अपने बीते पलों पे  || 


बस ऐसा ही कुछ चरितार्थ कर देना चाहता हूँ

कि इन पलों में अप्रतिम, अमिट छाप छोड़ देना  चाहता हूँ ||


(अभी ) सीमित सा स्वरूप है मेरा, 

इसे अमित बनाना चाहता हूँ,

हाँ मैं तुम बन जाना चाहता हूँ

मैं तुम बन जाना चाहता हूँ ||

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