Monday, October 21, 2019



"बस  एक सोच "

एक सोच  ही तो है
बस एक सोच ही तो है |

गिरते को उठा दे या उठते को गिरा दे ,
बस एक सोच ही तो है |

रंक को राजा या राजा को रंक बना दे ,
बस एक सोच ही तो है |

सत्यभी एक सोच ही है , असत्य भी एक सोच ही ,
कर्मण्यता भी एक सोच ही है , और शिथिलता भी एक सोच ही |

प्रेम भी एक सोच है और करुणा भी एक सोच ही ,
मानवता भी सोच ही है और पाशविकता भी सोच ही |

चेतनता भी सोच ही है और जड़ता भी एक सोच ही
ज्ञान भी सोच ही है और मूढ़ता भी एक सोच ही |

जीवन भी तो सोच ही है और मृत्यु भी एक सोच ही 
सृजन भी हाँ सोच ही है और विनाश भी एक सोच ही |

गीता और क़ुरान यही है और ईसा का बलिदान यही ,
बुद्ध का निर्वाण यही है और नानकजी  का पाठ यही |

सोच से ही मैं बना हूँ और सोच से भी  तुम ही ,
सोच ही शुरुआत भी है  और सोच ही है अंत भी | 

कितनी बलशाली है यह सोच , और कितनी मतवाली भी ,
सदियों से है इसका परचम , और रहेगा विद्यमान भी |

आओ अपनी सोच को बढ़ाएँ और आगे बढ़ें , और आगे बढ़ते ही रहे ...

लेकिन फिर मैं सोचता हूँ , कि...
अपनी सोच को आगे बढ़ाना भी तो एक सोच ही तो है ,
एक सोच ही तो है 
बस एक सोच ही तो है ||