Wednesday, February 5, 2020

... एक इनसां तुम हो ....

...  कि इनसां तुम हो ....


रंज़िशों के दौर में बन बैठे है मुर्दा दिल सभी ,
   रोशनी ए ज़िंदगी दिखाओ तो समझो  कि इंसान तुम हो ||


नफ़रातों की लानतें है मारता हर कोई ,
पैगाम ए मोहब्बत फैलाओ तो समझो  कि इंसान तुम हो ||

खुदगर्ज़ी में मशगूल रहता है हर कोई ,
कभी दूसरो के काम आओ तो समझो  कि इंसान तुम हो ||


इबादतों में ढूंढता है अपना खुदा हर कोई,
कभी इंसानो में उसे पाओ तो समझो  कि इंसान तुम हो ||

अपनो के लिए तो जीता है हर कोई
कभी दूसरी के आँसू मिटाओ तो समझो  कि इंसान तुम हो ||

मेरा  खुदा मुझमें  है, और है वो तुममें भी ,
बस अपनी खुदाई को जगाओ , तो समझो  कि इंसान तुम हो ||












4 comments: