... कि इनसां तुम हो ....
रंज़िशों के दौर में बन बैठे है मुर्दा दिल सभी ,
रोशनी ए ज़िंदगी दिखाओ तो समझो कि इंसान तुम हो ||
नफ़रातों की लानतें है मारता हर कोई ,
पैगाम ए मोहब्बत फैलाओ तो समझो कि इंसान तुम हो ||
खुदगर्ज़ी में मशगूल रहता है हर कोई ,
कभी दूसरो के काम आओ तो समझो कि इंसान तुम हो ||
इबादतों में ढूंढता है अपना खुदा हर कोई,
कभी इंसानो में उसे पाओ तो समझो कि इंसान तुम हो ||
अपनो के लिए तो जीता है हर कोई
कभी दूसरी के आँसू मिटाओ तो समझो कि इंसान तुम हो ||
मेरा खुदा मुझमें है, और है वो तुममें भी ,
बस अपनी खुदाई को जगाओ , तो समझो कि इंसान तुम हो ||
मेरा खुदा मुझमें है, और है वो तुममें भी ,
बस अपनी खुदाई को जगाओ , तो समझो कि इंसान तुम हो ||